बेवफ़ा वो भी नहीं हम भी नहीं

हालात के मारे हैं हम दोनों,
वरना बेवफ़ा वो भी नहीं हम भी नहीं,

खुशियाँ चाहे जैसे भी हो मिले,
जी जां लगा देते एक दूजे की खुशी के लिए,
पर आज खुश वो भी नहीं और हम भी नहीं॥

क़िस्मत के दोनों मारे हैं,
मीलों दूर वो हमसे हैं,
पर जुदा वो भी नहीं हम भी नहीं॥

बेबस निगाहों से आज भी इंतज़ार किया करते हैं,
पल पल आज भी जां निसार किया करते हैं,
नियति को शायद कुछ और ही मंज़ूर है,
क़सूरवार इसके वो भी नहीं और हम भी नहीं॥

दिल से जुड़े नातों का कोई क्या कर सकता है,
गलतफहमियाँ चाहे लाख हो जाए,
पर रिश्ते तोड़ देने का हक़दार वो भी नहीं और हम भी नहीं॥

हालात के मारे हैं हम दोनों,
वरना बेवफ़ा वो भी नहीं हम भी नहीं <3<3<3

क़िस्मत की लकीरों में

” क़िस्मत की लकीरों में बसाया है तुझे, लाखों दुवाएं मांगी है तब जाकर पाया है तुझे,
तुझे पाकर सारी जहां की खुशी मिल गयी, लाखों की भीड़ से ढूंढ लाया है तुझे॥ “