उसने कहा मुझे भूल जाओ

उसने कहा मुझे भूल जाओ,
मैंने कहा कैसे भूल जाऊँ उन हसीन पलों को,

उसने कहा मैं ना तेरा हूँ,
ना हो सकूँगी कभी ये याद रख ले,
मैंने कहा हर पाने का नाम ही मोहब्बत तो नहीं होता,n

उसने कहा मेरी मोहब्बत कोई और है,
मेरी यादों में है कोई और बसता,
मैंने कहा तू मेरी यादों में रहना हरदम ये काफी है जिंदगी के लिए,

उसने कहा चोट खाओगे हर पल,
क्यूँ अपने जिद पे अड़े हो,
मैंने कहा गर तुझे जिद है तो मुझे भी अपने मोहब्बत पे कोई शक नहीं,

उसने कहा दर्द होगा सीने में जब छोड़ के चली जाऊँगी,
उस दिन तुझे शायद पता चल जाएगा,
मैंने कहा इतने दर्द मिले हैं तेरी मोहब्बत में की और दर्द अब कम सा लगता है,

उसने कहा ढूँढ लो कोई मुझसे भी बढ़कर हसीन,
चाह लो जो तेरा हो सके,
मैंने कहा ख़्वाब में भी बस तुझे ही देखता हूँ औरों की अब सोचूँ भी तो कैसे,

उसने कहा मैंने किसी और से प्यार करती हूँ,
तुमसे प्यार कैसे कर सकती हूँ,
मैंने कहा तू मेरे साथ है जीने के लिए यही काफी है सनम,

उसने कहा मुझे छोड़ दो,
मैंने तेरे से बात भी नहीं करना चाहती,
मैंने कहा तू मुझे छोड़ दे इसकी कोई वजह होगी,
मैंने कहा तुझे छोड़ तो दूँ पर इसकी कोई बस इक वजह दे दे मुझे,

उसने कहा तुझे मंज़िल का नहीं पता,
तो फिर क्यूँ चलते हो ऐसे रास्तों पर,
मैंने कहा गर साथ दो तुम तो मंज़िल आप ही मिल जाएंगे,

उसने कहा बहुत बदतमीज़ हो तुम,
ऐसा मुझे मालूम ना था,
मैंने कहा तुम सामने होते हो तो थोड़ी शरारत हो ही जाती है,

उसने कहा कैसे चाह लूँ जब मेरे मन में सिर्फ वो ही बसा है,
ये गलत होगा तेरे साथ जो गर तुझे मैं चाह लूँ,
मैंने कहा सही गलत का फैसला यूँ मोहब्बत मे हम नहीं करते,

उसने कहा क्यूँ पीछे पड़े रहते हो,
वक़्त बर्बाद करते हो अपना,
जब तुझे पता है मैं दोबारा प्यार नहीं कर सकती,
फिर बस मैंने यही कहा तुम मुझे छोड़ दोगे ये हो सकता है,
पर मैं तुम्हें छोड़ दूँ, इसका ख़्वाब सपने में भी मत देखना॥

वो ख्वाब कुछ बहकी बहकी थी

वो ख्वाब कुछ बहकी बहकी थी,
जिस पल तुम करीब थे वो पल कुछ महकी महकी थी,

पल में दिल का दिल से दीदार हुआ,
नज़रों से उतर दिल के पार हुआ,
होठों से जो उसने मुझे छुआ,
वो जज़्बात महकी महकी थी,

बाहों के घेरे में वो,
सिमटते धुँधली शाम की तरह,
खोया इस कदर बेहोश तन मन,
वो शाम कुछ महकी महकी थी,

ना जाने किस तरह, यूँ शरमा के पास आयी,
धड़कनें भी साथ साथ हौले हौले गुनगुनाई,
सोया रहा यूँ लिपट कर उसके बाहों के घेरे में,
वो लम्हा महकी महकी थी,
वो शाम कुछ बहकी बहकी थी॥

तेरे ना होने से ज़िंदगी में

तेरे ना होने से ज़िंदगी में इतनी कमी सी रहती है,
ज़िंदा तो हूँ पर ज़िंदगी सी नहीं लगती है,
धड़कनों पे तेरा नाम तो है,
पर इन साँसों मे कुछ कमी सी लगती है,

जो डोर बांधे थे तूने मेरे दिल से,
वो आज टूटी टूटी सी लगती है,
बेवफ़ा तेरे प्यार में सब कुछ भुला दिया मैं,
इन आँखों मे आज भी कुछ नमीं नमीं सी लगती है,

जीने का हर अंदाज़ बदल दिया मैंने,
वो ख़्वाब वो वजह सब मिटा दिया मैंने,
तेरे बगैर कौन सा मंज़र देखूँ मैं,
तेरे ना होने से वो ख़्वाब कुछ अधूरी सी लगती है,

कदम कदम पे जीना का ख़्वाब दिखाये तूने,
मेरे हर ज़ख़्मों पर मरहम लगाए तूने,
तेरे जाने के बाद वो ज़ख्म भी कुछ ताजी सी लगती है,
तेरे ना होने से वो हर जज़्बा भी अधूरी सी लगती है,

तेरे ना होने से ज़िंदगी में इतनी कमी सी रहती है,
ज़िंदा तो हूँ पर ज़िंदगी सी नहीं लगती है॥

मिल जाओ कभी गर तो अजनबी की तरह

मिल जाओ कभी गर तो अजनबी की तरह नज़रें मिला लेना,
कदम तेरे ना रुक गए तो फिर कहना,
याद करोगे जब भी अकेले तन्हाइयों में तुम कभी,
अश्क पलकों पे तेरे ना आ गए तो कहना,

गिरोगे जब भी अपनी ही नज़रों में तुम बार बार,
गर तेरे सितम याद ना आ गए तो कहना,
किसी गैर की मोहब्बत देखकर क्या याद करोगे तुम भी,
शरमा के पलकें ना झुक जाए तो कहना,

गर दुआओं में मिल भी जाये तुझको खुशी,
बिन मेरे खुश हो गए तो फिर कहना,
तेरे सारे अरमान पूरे हो रब से ये फरियाद है मेरी,
तेरे अरमान में मेरी मोहब्बत गर ना हो तो फिर कहना॥

देखी है हज़ारों महफ़िलें

देखी है हज़ारों महफ़िलें पर ये फिज़ा नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफ़िर ने कभी समुंदर नहीं देखा,
बेकरारी तो रहती ही है हमेशा दिल पे मेरे,
आबो हवा ऐसा मंज़र नहीं देखा॥

बहुत कहते थे, हमेशा याद आओगे,
कहते थे, तन्हाइयों में मुझे पाओगे,
ना उसकी खबर ना कोई उसका पैगाम,
ऐसे भुला देगा कोई मंज़र नहीं देखा॥

सितम तो उसने कोई भी की ही नहीं,
आँखों में नमीं कभी थी ही नहीं,
जिस राह में फिरता मिल जाऊँ मैं,
दोबारा फिर कभी ऐसा डगर नहीं देखा॥

तेरा नाम का मेरे नाम से जुड़ जाना,
वो शामों शहर तेरी यादों का चले आना,
बदकिस्मती है तेरे नाम का गैरों से जुड़ जाना,
मोहब्बत में हो ये क़लाम, कभी ऐसा अंज़ाम नहीं देखा॥

आज फिर तेरी कमी महसूस हुई

आज फिर तेरी कमी महसूस हुई,
जुबां पे बात आके रुक सी गयी,
तन्हाइयों में इक आह सी निकली,
दिल को जब तेरी फ़रमाइश हुई 

पुकारे तुझे बुलाये तुझे,
आजा मीत मेरे ऐसे ना सता रे मुझे,
खनक तेरी चूड़ियों की कहीं छन से आए,
दिल को जब तेरी आरज़ू हुई 

तेरे शबनमी गालों को छु लूँ ज़रा,
पास बुलाके बाहों में भर लूँ ज़रा,
हाल-ए-दिल जब बेकरारी बढ़ाए,
दिल को जब तेरे अरमानों की चाहत हुई 

नशीली आँखें जब झुकने लगे,
लब तेरे सुर्ख लाल लगने लगे,
जब तेरी हर अदा मेरी दीवानगी में क़यामत लगे,
दिल को सनम जब से राहत हुई 

दिल को जब तेरी फ़रमाइश हुई,
आज फिर तेरी कमी महसूस हुई॥♥♥♥

 

बेवफ़ा वो भी नहीं हम भी नहीं

हालात के मारे हैं हम दोनों,
वरना बेवफ़ा वो भी नहीं हम भी नहीं,

खुशियाँ चाहे जैसे भी हो मिले,
जी जां लगा देते एक दूजे की खुशी के लिए,
पर आज खुश वो भी नहीं और हम भी नहीं॥

क़िस्मत के दोनों मारे हैं,
मीलों दूर वो हमसे हैं,
पर जुदा वो भी नहीं हम भी नहीं॥

बेबस निगाहों से आज भी इंतज़ार किया करते हैं,
पल पल आज भी जां निसार किया करते हैं,
नियति को शायद कुछ और ही मंज़ूर है,
क़सूरवार इसके वो भी नहीं और हम भी नहीं॥

दिल से जुड़े नातों का कोई क्या कर सकता है,
गलतफहमियाँ चाहे लाख हो जाए,
पर रिश्ते तोड़ देने का हक़दार वो भी नहीं और हम भी नहीं॥

हालात के मारे हैं हम दोनों,
वरना बेवफ़ा वो भी नहीं हम भी नहीं <3<3<3

ये गज़ल लिख दिया

 

ज़िंदगी भर तूने जो बख़्शा वो पल पल लिख दिया,
महसूस हुई जो आज दिल को, ये गज़ल लिख दिया,
मेरे ख़्वाबों को सजाने वाली परी तू सुन ले,
दस्तक दिया मेरे दिल पे तो सनम लिख दिया,
महसूस हुई जो आज दिल को, ये गज़ल लिख दिया॥

मौसम कितनी ख़ुशनुमा लगती है जो तू साथ है,
फिज़ाएँ भी रंगीं लगती है जो तू संग है,
मेरे एहसास मेरे ख़्वाब सब तेरे नाम कर दी,
जब ख्याल आया तो ये पैगाम लिख दिया,
महसूस हुई जो आज दिल को, ये गज़ल लिख दिया॥

इक उम्र भी कम लगेगी तेरे संग जो रहूँ,
हर लब्ज़ भी कम लगेगी ज़िक्र जो तेरी करूँ,
महफ़ूज रहेगी तेरी यादें मेरे दिल में अमानत की तरह,
आज तेरा जो दीदार हुआ तो ये प्यार लिख दिया,
ज़िंदगी भर तूने जो बख़्शा वो पल पल लिख दिया,
महसूस हुई जो आज दिल को, ये गज़ल लिख दिया॥

वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे यकीन ना था

वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था,
रूबरू तो अक्सर होता था,
इस कदर उनकी गिरफ़्त में आ जाएंगे, यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥

सिलसिले बढ़ते गए यूं हमारी नज़रों के,
बेकरारी बढ़ती गई इस दिल के हसरतों के,
ख़्वाबों में अक्सर आने लगे थे वो,
यूं हक़ीक़त बन जाएंगे, यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥

हाल-ए-दिल क्या होगी मालूम ना था,
मिलने पर जो महसूस हुई, मालूम न था,
नज़रों का पैमाना कब छलक उठा,
कब ये जवां दिल उनके आने पे धड़क उठा,
आगोश में ऐसे ले लेंगे वो, यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥

होश में भी हम मगर बेहोश रहे,
क़िस्से उनके हम दोस्तों को सुनाते रहे,
पल पल का ज़िक्र मेरे लबों पे था,
नस नस में वो समा जाएँगे यकीन ना था,
वो इस कदर मुझे मिल जाएँगे , यकीन ना था॥

तूफ़ानों से कश्ती निकलने क्यूँ नहीं देते

तूफ़ानों से कश्ती निकलने क्यूँ नहीं देते,
तुम्हारी यादों से दूर जाने क्यूँ नहीं देते,
बिछड़ कर भुलाना आसान होता अगर,
खोकर तुझे सुकून से सोने क्यूँ नही देते,

मुक़द्दर में नहीं थी मोहब्बत की दुआ,
ये अंजाने में सही पर हुआ सो हुआ,
होकर भी शायद नहीं बचा कुछ भी,
दर्द देकर फिर दुआ क्यूँ नहीं देते,

खामोशियों के सिवा अब रह क्या गया,
नाक़ाम मोहब्बत में बदनाम मैं हो गया,
तेरे नाम से मेरा नाम का जुड़ जाना अच्छा ना लगे,
तो फिर इस नाकाम शख़्स को धड़कनों से मिटा क्यूँ नहीं देते॥